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यह टेस्ट कैंसर की पहचान, इलाज की निगरानी, और रिलैप्स (वापसी) को ट्रैक करने में मदद करता है।
CEA Test क्यों किया जाता है?
CEA Test in Hindi | CEA Test at Home
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कोलन या रेक्टल कैंसर की पहचान और निगरानी के लिए
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कैंसर के इलाज (कीमोथेरेपी, सर्जरी, रेडिएशन) के असर को मापने के लिए
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इलाज के बाद शरीर में दोबारा कैंसर की वापसी (relapse) को जांचने के लिए
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कुछ मामलों में कैंसर के पहले लक्षणों के आधार पर भी
CEA Test कैसे किया जाता है?
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इसमें एक सामान्य ब्लड सैंपल लिया जाता है
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फास्टिंग की ज़रूरत नहीं होती, लेकिन डॉक्टर की सलाह ज़रूरी होती है
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कुछ मामलों में सीएसएफ या प्लीूरल फ्लूइड से भी सैंपल लिया जा सकता है
CEA Test की सामान्य रेंज:
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धूम्रपान न करने वालों में: 0 – 3 ng/mL
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धूम्रपान करने वालों में: 0 – 5 ng/mL तक सामान्य माना जा सकता है
CEA का उच्च स्तर कुछ कैंसर का संकेत हो सकता है, लेकिन यह हमेशा कैंसर का प्रमाण नहीं होता। सूजन, लिवर की बीमारी, या धूम्रपान भी इसके स्तर को बढ़ा सकते हैं।
CEA Test कब करवाना चाहिए?
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यदि आपको कोलन या रेक्टल कैंसर का संदेह है
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इलाज के दौरान डॉक्टर को प्रगति का मूल्यांकन करना हो
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इलाज के बाद फॉलो-अप में कैंसर की वापसी का पता लगाना हो
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अन्य प्रकार के कैंसर जैसे ब्रेस्ट, फेफड़ा, थायरॉइड, प्रोस्टेट, या पैंक्रियाज के मामलों में निगरानी के लिए
CEA Test के फायदे:
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कैंसर की पहचान और स्टेजिंग में मदद
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इलाज के असर को मॉनिटर करने का ज़रिया
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कैंसर के दोबारा होने की समय पर जानकारी
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कम लागत में हाई वैल्यू टेस्ट
CEA Test किन बीमारियों में उपयोगी है?
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Colon Cancer
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Rectal Cancer
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Lung Cancer
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Breast Cancer
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Pancreatic Cancer
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Ovarian or Thyroid Cancer
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Liver Cirrhosis या Inflammatory Bowel Disease (IBD) जैसी कुछ नॉन-कैंसर स्थितियों में भी इसका स्तर थोड़ा बढ़ सकता है

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