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अंडकोष में सूजन: पुरुषों में आम हर्निया का कारण और उपचार
पुरुषों को सबसे ज्यादा होने वाला हर्निया: अंडकोष में सूजन का इलाज
हर्निया बढ़कर अंडकोष की थैली (स्क्रोटम) तक पहुंच जाए तो वहां सूजन, दर्द और भारीपन महसूस होता है। जिसे स्क्रोटल हर्निया कहा जाता है। इलाज में देर करने पर हर्निया फंस सकता है। खून की आपूर्ति रुक जाती है और अंडकोष को स्थायी नुकसान पहुंचता है। यही कारण है कि समय पर सर्जरी बेहद जरूरी है। अगर पेट या अंडकोष में उभार या सूजन महसूस हो तो डॉक्टर से तुरंत परामर्श लें। समय पर इलाज से जटिलताओं से बचा जा सकता है।
अगर आप इस बीमारी की जांच या इलाज के लिए भरोसेमंद चिकित्सा सुविधा की तलाश कर रहे हैं, तो नोएडा में सर्वश्रेष्ठ लेप्रोस्कोपिक हॉस्पिटल का चयन करना बेहद जरूरी है, जहां अनुभवी जनरल सर्जन और अत्याधुनिक तकनीक के माध्यम से मरीज को बेहतर देखभाल मिल सके।
हर्निया क्या है?
हर्निया तब होता है जब शरीर के अंदर का कोई अंग या ऊतक कमजोर मांसपेशियों या ऊतकों की दीवार से बाहर निकलता है। आमतौर पर पेट की मांसपेशियों की परतें आंतों या फैट को सही जगह पर रोकती हैं। अगर इनमें कमजोरी आए तो यह अंदरूनी अंग बाहर की तरफ उभरते हैं जिससे त्वचा के नीचे उभार दिखता है। यह उभार खड़े होने, खांसने या भारी सामान उठाने पर बढ़ता है और बैठने या लेटने पर कम होता है। पुरुषों में सबसे ज्यादा पाया जाने वाला हर्निया इंगुइनल हर्निया है। जो जांघ के ऊपरी हिस्से और पेट के निचले हिस्से के जोड़ (ग्रोइन) में होता है। पुरुषों में जन्म से मौजूद एक नाजुक क्षेत्र (वंक्षण नलिका), जहां से अंडकोष की नसें गुजरती हैं। उम्र, भारी काम, खांसी या कब्ज से इस क्षेत्र पर दबाव बढ़ना। जिससे हर्निया का खतरा ज्यादा होता है।
अंडकोष में सूजन से इसका संबंधः
जब इंगुइनल हर्निया बड़ा होता है, तो यह अंडकोष की थैली तक पहुंचता है। ऐसे में आंत का हिस्सा अंडकोष की थैली में उतरता है। जिससे वहां सूजन, दर्द और भारीपन महसूस होता है इसे अंडकोषीय हर्निया कहते हैं। यह न सिर्फ दर्द और असुविधा देता है बल्कि इलाज में देरी से अंडकोष को भी नुकसान पहुंचाता है।
हर्निया के प्रकार और पुरुषों में प्रमुख कारण
हर्निया कई प्रकार के होते हैं जिनमें इंगुइनल, फेमोरल, यूंबिलिकल और इंसिजनल हर्निया शामिल है।
-इंगुइनल हर्निया पुरुषों में सबसे होता है क्योंकि उनके शरीर में मौजूद इंगुइनल नलिका स्वाभाविक रूप से एक कमजोर क्षेत्र होती है। इस नलिका के जरिये शुक्राणु नली और खून की नसें अंडकोष तक पहुंचती हैं। मांसपेशियों की यही कमजोरी, उम्र के साथ बढ़कती है। फिर बार‑बार भारी वजन उठाने, लगातार खांसी या कब्ज जैसी स्थितियों से इस पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। यही कारण है कि पुरुषों में इंगुइनल हर्निया की संभावना अधिक होती है।
-अक्सर ऐसा भी होता है कि समय पर इलाज न हो तो हर्निया का हिस्सा बढ़कर अंडकोष की थैली तक पहुंचता है। जिससे अंडकोष में सूजन, दर्द या भारीपन महसूस होता है। इसे स्क्रोटल हर्निया कहा जाता है, जो इलाज में पर अंडकोष की नसों को नुकसान पहुंचाता है।
-इसके पीछे कई जोखिम कारक भी हैं। जिसमें अचानक या बार‑बार भारी सामान उठाना, लंबे समय तक पुरानी खांसी, छींक से पेट पर दबाव पड़ना, कब्ज के कारण मलत्याग के समय जोर लगाना, बढ़ती उम्र में मांसपेशियों की ताकत कम होना, मोटापा और परिवार में हर्निया का इतिहास होना भी कारण बनता है। इन सब कारणों से पेट की दीवार कमजोर होती है जिससे हर्निया होने की आशंका बढ़ती है।
लक्षण और निदान
हर्निया के लक्षण आमतौर पर बहुत साफ दिखाई देते हैं। सबसे सामान्य लक्षणों में पेट के निचले हिस्से या जांघ के पास उभार महसूस होना शामिल है। जो खड़े होने, खांसने या कुछ भारी उठाने पर होता है। इसके साथ हल्का दर्द या खिंचाव भी होता है जो दिनभर के कामकाज या शारीरिक गतिविधि से बढ़ता है। अगर हर्निया का हिस्सा अंडकोष की थैली तक पहुंच जाए, तो अंडकोष में सूजन और भारीपन महसूस होता है। जिससे असुविधा और दर्द बढ़ता हैं।
-कुछ संकेत ऐसे होते हैं। जिन पर तुरंत ध्यान देना जरूरी है। उदाहरण के लिए दर्द अचानक तेज होना, उभार का सख्त या लाल होना, उल्टी आना या पेट में बहुत ज्यादा दर्द महसूस होना सब इस की चेतावनी हैं कि हर्निया फंस गया है। उसमें खून की आपूर्ति रुक गई है। ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। देरी से अंडकोष या आंत को नुकसान पहुंचता है।
-हर्निया के निदान में सबसे पहला और अहम तरीका फिजिकल एग्जामिनेशन। डॉक्टर खड़े और लेटे दोनों पोजिशन में पेट और ग्रोइन के हिस्से को देख‑छूकर जांचते हैं। खांसने के दौरान उभार का व्यवहार नोट करते हैं। जरूरत पड़ने पर अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन या एमआरआई की जाती है। यह विशेष रूप से दोबारा होने वाले हर्निया की जानकारी देते हैं। इससे हर्निया की पुष्टि होती है। साथ ही सर्जरी की योजना आसान होती है।
अंडकोष में सूजन के साथ हर्निया के उपचार विकल्प
अंडकोष में सूजन के साथ होने वाले हर्निया का सबसे प्रभावी और स्थायी इलाज सर्जरी है। जो पारंपरिक (ओपन) सर्जरी और आधुनिक लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से होती है।
- पारंपरिक या ओपन सर्जरी में डॉक्टर पेट के निचले हिस्से में एक सीधा चीरा लगाकर हर्निया के थैले को ठीक करते हैं। उस जगह पर मेश लगाकर दीवार को मजबूत करते हैं। यह तरीका कई साल पुराना है। आज भी सरल मामलों में उपयोगी है। इसमें चीरा बड़ा होने की वजह से दर्द अपेक्षाकृत ज्यादा होता है। रिकवरी में समय लगता है।
- आज के समय में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी को ज्यादा सुरक्षित, आरामदायक और तेज मानते हैं। इस तकनीक में कुछ छोटे‑छोटे चीरे लगाए जाते हैं। जिनसे पतले उपकरण और एक कैमरा पेट के भीतर भेजते हैं। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की भी दो मुख्य तकनीकें हैं।
* टीईपी (पूरी तरह से एक्स्ट्रापेरिटोनियल मरम्मत), जिसमें पूरी तरह से पेट के बाहर से मरम्मत की जाती है।
* टीएपीपी (ट्रांसएब्डॉमिनल प्रीपेरिटोनियल रिपेयर), में पेट के पार जाकर मेश लगाई जाती है।
- दोनों तरीकों के अपने बड़े फायदे हैं जैसे कम दर्द, जल्दी रिकवरी (अक्सर मरीज 1–2 दिन में घर जा सकता है।, कम निशान या दाग रहता है। खासकर कामकाजी उम्र के मरीजों के लिए लेप्रोस्कोपिक तकनीक उन्हें जल्दी फिर से रोजमर्रा की जिंदगी और कामकाज में लौटने का मौका देती है। यही वजह है कि आजकल ज्यादातर डॉक्टर हर्निया के मामलों में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी को प्राथमिकता देते हैं।
लेप्रोस्कोपिक गाइडलाइन के तहत इलाज
लेप्रोस्कोपिक हर्निया सर्जरी से जुड़ी आधुनिक गाइडलाइन यह हैं कि किन मरीजों में यह तकनीक ज्यादा फायदेमंद होती है किस तरह इससे बेहतर नतीजे मिल सकेंगे।
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सामान्यत: लेप्रोस्कोपी उन मरीजों के लिए विशेष उपयोगी है। जिनका हर्निया दोनों तरफ होता है। बार‑बार हो चुका होता है या जिन्हें जल्दी काम पर लौटना जरूरी होता है। मोटापे से पीड़ित मरीजों में भी लेप्रोस्कोपिक तकनीक से कम जटिलताओं और बेहतर रिकवरी के प्रमाण मिलते हैं।
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लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में दर्द कम होता है। अस्पताल में रुकने की अवधि छोटी रहती है। मरीज जल्दी सामान्य दिनचर्या में लौटता है। लंबे समय में भी इसके नतीजे पारंपरिक ओपन सर्जरी के बराबर या उससे बेहतर पाए गए हैं। खासकर तब जब सर्जरी अनुभवी सर्जन द्वारा की जाए।
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पुराने रोगियों और रीकरेन्ट हर्निया के मामलों में लेप्रोस्कोपी की भूमिका अहम होती है। पहले की गई ओपन सर्जरी के बाद उस जगह पर फिर से चीरा लगाने से जटिलतां बढ़ती हैं। लेप्रोस्कोपिक तकनीक में नई जगह से पहुंचकर मरम्मत की जाती है। जिससे रिस्क कम होता है। मरीज को लंबे समय के लिए राहत मिलती है।
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सर्जरी के बाद शुरुआती कुछ हफ्तों तक बहुत भारी सामान न उठाना। धीरे‑धीरे सामान्य गतिविधियों की ओर लौटना। सही डाइट लेना और दिए गए दर्दनिवारक या एंटीबायोटिक दवाएं समय से लेना जरूरी होता है। डॉक्टर द्वारा बताई गई फॉलोअप विज़ट को न छोड़ना भी बेहद जरूरी होता है। जिससे रिकवरी पूरी तरह से ट्रैक हो सके और कोई समस्या आने पर तुरंत समाधान हो सके।
इलाज में देरी का नुकसान
हर्निया के इलाज में देरी बड़ी समस्या में बदल सकती है। अगर समय पर सर्जरी न कराई जाए, तो हर्निया धीरे‑धीरे और बढ़ सकता है जिससे दर्द और असुविधा भी बढ़ती जाती है।
- सबसे बड़ा खतरा तब होता है जब हर्निया का हिस्सा पेट की दीवार में फंसता है जिसे कैद हर्निया कहते हैं। ऐसी स्थिति में आंत या ऊतक वापस पेट के भीतर नहीं जा पाते और वहां खून की आपूर्ति भी रुकती है।
- जब हर्निया का हिस्सा पूरी तरह से फंसकर खून की सप्लाई से कटता है, तो इसे गला घोंटने वाला हर्निया कहा जाता है। यह एक इमरजेंसी होती है। जिसमें प्रभावित हिस्से के ऊतक मर सकते हैं। तुरंत सर्जरी न की जाए तो संक्रमण या पेट में जहर फैलने जैसी खतरनाक स्थिति बनती है। जो जानलेवा होती है।
- हर्निया का हिस्सा अंडकोष की थैली तक पहुंच जाए और वहीं फंस जाए तो अंडकोष को भी स्थायी नुकसान पहुंचता है। इससे न सिर्फ दर्द और सूजन बढ़ती है बल्कि प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है इसलिए हर्निया को मामूली समझकर टालना खतरनाक होता है। समय पर इलाज से जटिलता से बच सकते हैं।
रोगी के लिए सलाह और जीवनशैली परिवर्तन
हर्निया से जुड़े किसी भी लक्षण को नजरअंदाज करने की बजाय परामर्श लेना जरूरी है। अगर डॉक्टर सर्जरी की सलाह दें तो उसे टालना नहीं चाहिए। क्योंकि जितनी देर होगी। जटिलता बढ़ने की संभावना उतनी ज्यादा होती है।
- वजन को नियंत्रित रखना पेट की दीवार पर अतिरिक्त दबाव कम करता है। हर्निया के दोबारा होने की आशंका को घटाता है।
- धूम्रपान छोड़ना न सिर्फ सर्जरी के बाद की रिकवरी को तेज करता है। बल्कि लंबे समय में शरीर की मांसपेशियों और ऊतकों को भी मजबूत रखता है।
- कब्ज का इलाज जरूर कराना चाहिए। जिससे मलत्याग के दौरान जोर लगाने की जरूरत न पड़े क्योंकि यह भी पेट पर अनचाहा दबाव डालता है।
- भारी सामान उठाने से परहेज करना या इसे ठीक से उठाने की तकनीक सीखना। नियमित हल्की एक्सरसाइज करना। शरीर को फिट रखके के कदम हर्निया के जोखिम को काफी हद तक कम करते हैं। ऑपरेशन के बाद जल्ज रिकवरी होती है।
हर्निया होने पर कब डॉक्टर से मिलें?
हर्निया को नजरअंदाज करना भविष्य में और गंभीर जटिलताएं पैदा करता है। समय रहते इसकी पहचान और सही इलाज बेहद जरूरी है। इस रोग की पहचान और इलाज में जनरल सर्जन या हर्निया स्पेशलिस्ट की अहम भूमिका होती है। वे शारीरिक जांच, अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन या अन्य टेस्ट के जरिए हर्निया की स्थिति को समझते हैं और उसके हिसाब से दवा, लाइफस्टाइल सुधार या सर्जरी जैसी उपयुक्त चिकित्सा का निर्णय लेते हैं। अगर किसी व्यक्ति को पेट या ग्रोइन के हिस्से में बार‑बार उभार दिखे, खड़े होने या खांसने पर दर्द या खिंचाव महसूस हो, अंडकोष में सूजन हो, या उभार सख्त और दर्दनाक हो जाए तो तुरंत किसी अनुभवी सर्जन से संपर्क करें।
नोएडा में अच्छा सर्जन या हर्निया स्पेशलिस्ट (best hernia surgeon in Noida) चुनना इस प्रक्रिया का पहला और सबसे जरूरी कदम है, ताकि सही समय पर इलाज शुरू हो सके और रोग की प्रगति को रोका जा सके।
निष्कर्ष (Conclusion)
अंत में यही कहना जरूरी है कि हर्निया भले पुरुषों में बहुत आम समस्या हो. लेकिन इसे हल्के में लेना सही नहीं है। समय पर पहचान और इलाज न हो तो यह धीरे‑धीरे गंभीर रूप लेता है। जिससे दर्द, अंडकोष को नुकसान और यहां तक कि जीवन को खतरा होता है। आज लेप्रोस्कोपिक सर्जरी जैसी आधुनिक तकनीकें मौजूद हैं। जो कम दर्द, तेज रिकवरी और बेहतर परिणाम के साथ हर्निया के इलाज को सुरक्षित बनाती हैं। सही समय पर विशेषज्ञ से परामर्श लेकर सर्जरी कराना चाहिए। जिससे जटिलताओं से बचा जा सके। रोजमर्रा की जिंदगी पहले जैसी सहज और स्वस्थ बनी रहे।
नोएडा में हर्निया के इलाज (hernia treatment) की कीमत रोग की अवस्था, जरूरी जांच (जैसे अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन या अन्य लैब टेस्ट) और चुनी गई उपचार पद्धति पर निर्भर करती है। आमतौर पर शुरुआती जांच और दवाओं की लागत कुछ हजार रुपये से शुरू होती है, जबकि ओपन, लेप्रोस्कोपिक या मेष (mesh) रिपेयर जैसी आधुनिक तकनीकों के साथ यह लागत अधिक हो सकती है। सटीक जानकारी के लिए किसी अनुभवी जनरल सर्जन, हर्निया स्पेशलिस्ट या नोएडा के विश्वसनीय अस्पताल से संपर्क करें, ताकि आपकी स्थिति के अनुसार सबसे उपयुक्त और प्रभावी इलाज का अनुमान लिया जा सके।
Blog source: https://www.felixhospital.com/blogs/purushon-ko-sabse-jyada-hone-wala-hernia-andkosh-mein-soojan-ka-ilaj-in-hindi

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